तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक । साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।।

तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।।
अर्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य की विपत्ति के समय संसार में उसका सबकुछ छूट सकता है । तब मुश्किल वक्त में ये चीजें मनुष्य का साथ देती है । ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम ( भगवान ) का नाम । मुश्किल समय में  अपने दोस्तो का साथ, परिवार का साथ या चाहे कोई जितना भी खास हो किसी कारणवश पीछे छूट जाए । तब  मनुष्य (अर्थात) हम अकेले पड़े हों तब हमारे साथ होता है हमारा ज्ञान जो हमने कहीं न कहीं से प्राप्त किया होता है । चाहे वो ज्ञान माता-पिता द्वारा हो, दोस्तों द्वारा हो या गुरु द्वारा हो । जीवन में वह ज्ञान बहुत उपयोगी साबित होता है । इसके बाद जो हमारा साथ देता है वो है हमारा व्यवहार अर्थात हमारा आचरण । हम अन्य लोगों के सामने किस तरह पेश आ रहे हैं यह हमारे आचरण द्वारा ही पता चलता है । हमारा आचरण जितना सभ्य, शांत और नम्र होगा हम उतने ही जल्दी दूसरों के मन में अपनी जगह बना पाएंगे । इसके बाद है हमारा विवेक यानि हमारी बुद्धि या समझ । इसको हम इस तरह से भी देख सकते हैं कि जब भी हम किसी मुसीबत में पड़े या कोई ऐसा काम हो जिसके लिए तुरंत फैसला लेना हो उस समय हमारा विवेक ही काम आएगा । या जब हमारे साथ कोई नहीं होगा तब हमें अपनी बुद्धि का सहारा लेकर उस काम को सकारात्मक रूप देना होगा । फिर आता है हमारा साहस अर्थात हम जो भी काम करे वो बिना डर के करें हिम्मत से समझदारी से करे। साहस से किया हुआ काम हमें निश्चित रूप से सफलता ही दिलवाएगा । फिर है हमारा सत्य । सत्य एक अहिंसात्मक हथियार है । यदि मनुष्य अपने सत्य पर टीके रहे तो वह दुनिया में कहीं पर भी अपना निर्वाह कर सकता है । सत्य की राह आरंभ में मुश्किलों भरा जरूर होता है लेकिन उसके बाद राह आसान हो जाती है । इसके विपरीत झूठ आरंभ में आसान लगता है लेकिन बाद में उसकी राह मुश्किल भरी होती है । अंत में तुलसी जी कहते हैं कि इन सबके अलावा ईश्वर पर अपना विश्वास रखना भी आवश्यक है । विपरीत समय में हम लोग ईश्वर को कोसते है ईश्वर को कोसने से कुछ नहीं मिलने वाला । यदि ईश्वर साथ है हमारा कुछ गलत नही हो सकता । इसलिए जब भी कोई मनुष्य या हम जब विपत्ति के समय में पड़े हों या अकेले हो या किसी मुश्किलों से घिरे हों तो हमें डरने की आवश्यकता नहीं है । जब कोई नहीं होता हमारे साथ तो हमारे साथ होते हैं हमारा ज्ञान, विवेक, साहस, व्यवहार, अच्छे कर्म और हमारा ईश्वर । इसलिए आज के समय यह हमारे लिए आवश्यक है कि हम अपनी रोजाना की ज़िंदगी में इन कामो पर भी ध्यान दे ताकि जब भी ऐसी कोई विपत्ति आन पड़े तो हम डरें न और साहस पूर्ण उसका सामना करें । 

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